खैरागढ़ का रण…चेहरे बनाम मुद्दे! ट्रंपकार्ड साबित होंगे भाजपा-कांग्रेस के मुद्दे?

 रायपुर: छत्तीसगढ़ में खैरागढ़ उपचुनाव को 2023 से पहले सत्ता का सेमीफाइनल माना जा रहा है। कांग्रेस और बीजेपी ने जीत के लिये अपनी पूरी ताकत झोंक दी है, वहीं जेसीसीजे भी अपने गढ़ को बचाने के लिए जोर आजमाइश कर रही है। जैसे-जैसे चुनाव की तारीख नजदीक आ रही है, अपने-अपने मुद्दों के साथ एक दूसरे पर हमला कर रहे हैं। सत्ता रूढ़ कांग्रेस जहां अपने घोषणापत्र में किए वादों और बीजेपी के 15 साल के कार्यकाल को लेकर सवाल उठा रही है, तो वहीं बीजेपी राज्य सरकार के वादाखिलाफी को बड़ा चुनावी मुद्दा बनाया है। अब सवाल ये है कि कांग्रेस और बीजेपी जिन मुद्दों को लेकर जनता के पास जा रहे हैं क्या वो ट्रंपकार्ड साबित होंगे?

12 अप्रैल को होने वाले खैरागढ़ उपचुनाव के लिए चुनाव प्रचार पूरे चरम पर है। आरोप-प्रत्यारोप और जुबानी जंग तेज है. जीत के लिए बड़े बड़े दावे और वादे किये जा रहे है। लेकिन प्रत्याशी के चेहरे से शुरू हुई उपचुनाव की लड़ाई अब मुद्दों के इर्द-गिर्द घुमने लगी है। इसकी शुरुआत कांग्रेस ने खैरागढ़ को जिला बनाने की घोषणा के साथ की। इसके अलावा कांग्रेस नेता चुनावी सभाओं में पूर्व की रमन सरकार के कार्यकाल की नाकामियों को भी मुद्दा बनाकर बीजेपी को घेर रहे हैं।

दूसरी ओर बीजेपी के लिए सबसे बड़ा मुद्दा भूपेश सरकार की वादाखिलाफी है। बीजेपी नेता कांग्रेस के घोषणापत्र को मुद्दा बनाकर उसके खिलाफ आरोप पत्र जारी किया है। खैरागढ़ को जिला बनाने के कांग्रेस के वादे को बीजेपी ब्लैकमेलिंग करार दे रही है। इसके अलावा बीजेपी नेता पीएम आवास योजना, बोनस की राशि में कटौती को खैरागढ़ टैक्स का नाम देकर मुद्दा बनाने की कोशिश की है।

जाहिर है खैरागढ़ उपचुनाव के नतीजों से भूपेश सरकार की सेहत पर तो कोई असर नहीं पड़ेगा, लेकिन चुनाव के नतीजे जनता के मूड को जरूर बताएंगे..साथ ही साथ 2023 के लिए संकेत भी देंगे। यही वजह है कि बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही दल अपने-अपने ट्रंपकार्ड के साथ चुनावी मैदान में हैं।

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