छत्तीसगढ़: 23 महीने से शव को रखा है सुरक्षित, आदिवासियों ने जताया है फर्जी एनकाउंटर का शक; अदालत से न्याय की उम्मीद

दिन-19 मार्च 2020, वक्त- सुबह करीब साढ़े सात बजे…बस्तर के दंतेवाड़ा के जंगलों में पुलिस ने दावा किया उसने मुठभेड़ में एक नक्सली को मार गिराया है। पुलिस ने दावा किया कि एनकाउंटर में मारा गया बदरू मंडावी सीपीआई (माओवादी) के वेस्ट डिविजन का सदस्य था। लेकिन गांववाले और मृतक मंडावी के परिजनों ने पुलिस के दावों पर यकीन नहीं किया और मृतक का अंतिम संस्कार करने से इनकार कर दिया। तब से अब तक करीब 23 महीने गुजर गये हैं।

मंडावी के गांव गमपुर के लोगों ने उसके मृत शरीर को अभी भी अपने पास एक सबूत के तौर पर रखा है। इनका आरोप है कि सुरक्षा बलों ने एक निर्दोष आदिवासी को मार डाला। गांव वाले इस मामले में अदालत के हस्तक्षेप करने का इंतजार कर रहे हैं।

गांव वाले और मृतक के परिजों ने नवंबर 2021 में एक मानवाधिकार संस्था से कानूनी सलाह ली है। अब यह सभी लोग छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाने की योजना बना रहे हैं। इनका आरोप है कि सुरक्षा बलों ने फर्जी एनकाउंटर कर एक आदिवासी को मारा है।

यह सभी लोग इस एनकाउंटर की जांच कराने की मांग कर रहे हैं। गांव वालों ने डेड बॉडी को गड्ढे में रखा गया है। यह जगह गांव से करीब 200 मीटर की दूरी पर है। शव को सफेद कपड़े और प्लास्टिक से लपेटा गया है।

स्थानियों लोगों का कहना है कि आदिवासियों ने मृत शरीर पर नमक और जंगल से मिलने वाली जड़ी-बूटी लगा दी है ताकि शव को खराब होने से बचाया जा सके। मृतक बदरू की मां मंडावी मार्को ने कहा, ‘हम मृतक का तब तक अंतिम संस्कार नहीं करेंगे जब तक अदालत इस मामले में संज्ञान नहीं लेती। हम लॉकडाउन और महामारी की वजह से हाईकोर्ट तक पहुंचने में असमर्थ थे, लेकिन अब हमने हाल ही में कुछ लोगों से संपर्क किया है। जल्दी ही हम अपनी याचिका दायर करेंगे।’ उन्होंने उस पुलिसवाले पर कार्रवाई किये जाने की मांग की जिन्होंने उनके बेटे को मारा है।

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