
रायपुर में : भाजपा पार्टी के स्टार प्रचारक कहा हो गए है नदारत
आशीष तिवारी रायपुर
रायपुर। छत्तीसगढ़ प्रदेश में अब भाजपा को कोई भी स्टार प्रचारक नहीं दिखता है। 2018 से पहले देश में कहीं भी चुनाव होता था तो भाजपा अपने स्टार प्रचारक सूंची में छत्तीसगढ़ प्रदेश से दो चार स्टार प्रचारक रखती थी।
लेकिन 2018 के चुनाव में प्रदेश में भाजपा की करारी हरक बाद से ही प्रदेश भाजपा के नेताओं के कद को लगातार भाजपा के केंद्रीय संगठन से काटा जा रहा है। कई बार समाचार के सुर्खियों में आने के बाद गाहे बगाहे छत्तीसगढ़ के भाजपा के नेताओं को स्टार प्रचारक के रूप में बुलाया गया था। मगर गत वर्षों से तो भाजपा के केंद्रीय संगठन द्वारा छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री सहित केंद्रीय मंत्री, पूर्व केंद्रीय मंत्रियों को भी स्टार प्रचारक के रूप में नहीं देखा जा रहा है। वर्तमान में देश के पांच राज्यों में चुनाव है और भाजपा अपनी पूरी ताकत झोंक दी है, बावजूद इसके छत्तीसगढ़ के किसी भी नेता को भाजपा प्रचारक के रूप में नहीं देख रही है। ऐसा ही कुछ हाल मध्यप्रदेश में भी देखने को मिला था, लेकिन मध्यप्रदेश में सत्ता परिवर्तन होते ही मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह की महत्ता केंद्र में बढ़ गई। लेकिन छत्तीसगढ़ प्रदेश भाजपा में विधानसभा 2018 के बाद हुए मध्यावधि चुनावों में भी करारी हार को देखते हुए केंद्र भाजपा द्वारा प्रदेश भाजपा के लोगों को सिर्फ मंडल स्तर तक की ही अन्य राज्यों के चुनावों में जिम्मेदारी दी जा रही है। बड़े स्तर की जिम्मेदारी छत्तीसगढ़ के दिग्गज भाजपाई कहलाने वालों को नहीं दी जा रही है। यहां यह भी कह सकते है कि केंद्र के भाजपा नेताओं को छत्तीसगढ़ के किसी भी भाजपा नेता में चार्म नहीं दिख रहा है। वर्तमान में अमित, योगी, शिवराज, तोमर, ही नड्डा के प्रमुख सेनापति हैं, जो पहले कभी छत्तीसगढ़ से रमन, केदार, बृजमोहन, अमर, विष्णु, विक्रम, हुआ करते थे। केंद्र की भाजपा ने तो छत्तीसगढ़ की भाजपा से प्रदेश स्तर की राजनीति में लगातार हार के बाद से मानों नाता ही तोड़ लिया है। भले ही 2019 में लोकसभा में भाजपा 11 में 9 सीट जीतकर आई लेकिन केंद्रीय राजनीति में इसे सिर्फ मोदी लहर के रूप में देखा जा रहा है, प्रदेश के नेताओं की लहर होती तो 11 के 11 भाजपा के होते। वैसे भी गत तीन दशकों से भाजपा लोकसभा में छत्तीसगढ़ में अच्छा ही प्रदर्शन कर रही है, भले ही डेढ़ दसक भाजपा छत्तीसगढ़ में रही थी लेकिन उसके बाद जो शिकस्त मिली उसे सर्मनाक शिकस्त ही माना जा रहा है।