डॉक्टर्स की घोर लापरवाही; बच्चों को अलग-अलग ब्लड बैंकों का चढ़ाया खून, तीन को हुआ HIV

महाराष्ट्र के नागपुर में मानवाधिकारों की घोर उपेक्षा का चौंकाने वाले मामला सामने आया है। यहां छह थैलेसीमिक बच्चे एचआईवी और हेपेटाइटिस बी पॉजिटिव हो गए, जिनमें एक की ब्लड ट्रांसफ्यूजन की वजह से मौत हो गई। दरअसल, थैलेसीमिया के इलाज के लिए बच्चों को अलग-अलग ब्लड बैंकों से खून उपलब्ध कराया गया, जिसके बाद वे संक्रमित पाए गए।

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने इस मामले में मीडिया रिपोर्ट का तुरंत संज्ञान लिया और महाराष्ट्र सरकार को नोटिस जारी किया। राज्य खाद्य व औषधि प्रशासन विभाग के सचिव को छह सप्ताह के भीतर मामले की प्रारंभिक जांच को लेकर रिपोर्ट प्रस्तुत करने और आपराधिक कार्यवाही शुरू करने का नोटिस जारी किया गया है।

ब्लड ट्रांसफ्यूजन की वजह से 3 बच्चे HIV पॉजिटिव
एनएचआरसी के नोटिस में मीडिया रिपोर्ट का हवाला देते हुए उल्लेख किया गया है कि छह बच्चों का इलाज थैलेसीमिया के लिए किया जा रहा था, जिसमें खून चढ़ाने के लिए पहले न्यूक्लिक एसिड टेस्ट (एनटीए) के माध्यम से जांच की जानी थी। इस सुविधा के अभाव में बच्चों को दूषित रक्त दिया गया। ऐसे में ब्लड ट्रांसफ्यूजन की वजह से तीन बच्चे एचआईवी पॉजिटिव और तीन अन्य हेपेटाइटिस बी से संक्रमित हो गए, उनमें से एक की मौत हो गई।

पीड़ितों के मानवाधिकारों का यह उल्लंघन
NHRC ने कहा कि अगर मीडिया रिपोर्ट सही पाई गई तो यह पीड़ितों के मानवाधिकारों का उल्लंघन है। एनएचआरसी ने महाराष्ट्र के मुख्य सचिव को छह सप्ताह के भीतर मामले में विस्तृत रिपोर्ट देने के लिए नोटिस जारी किया है। रिपोर्ट में दोषी पाए जाने पर दोषी लोक सेवकों/अधिकारियों के खिलाफ की गई कार्रवाई या प्रस्तावित की जाने वाली कार्रवाई शामिल होने की उम्मीद है। उन्हें यह भी रिपोर्ट करने के लिए कहा गया है कि क्या कोई अंतरिम मुआवजा दिया गया।

घटना की जांच कर रही समिति
स्वास्थ्य विभाग के सहायक निदेशक डॉ रवि धाकाटे के अनुसार, समिति घटना की जांच कर रही है और पैथोलॉजी प्रयोगशाला की पहचान करने जैसे विवरणों का पता लगा रही है जहां से बच्चों को दूषित रक्त मिला था। उन्होंने कहा कि छह बच्चे एचआईवी और हेपेटाइटिस बी से संक्रमित हुए हैं, जिनमें से एक की मौत हो गई है। जांच रिपोर्ट आने के बाद हम सारी जानकारी एकत्र करेंगे और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करेंगे।

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