दिव्यांग ललिता 50 महिलाओं के लिए बनी आर्थिक स्वावलंबन का सहारा, ललिता गांव की महिलाओं को समूह में जोड़कर गौठान में वर्मी कम्पोस्ट, सब्जी, मुर्गी पालन, कोसा धागा का कर रहे उत्पादन
दिलीप कुमार वैष्णव@ आपकी आवाज
कोरबा छत्तीसगढ़- 21 दिसंबर 2020/विकासखण्ड कोरबा अंतर्गत ग्राम चिर्रा की दिव्यांग ललिता राठिया जिले ही नहीं समूचे छत्तीसगढ़ के लिए प्रेरक मिसाल बन रही है। ट्राईसाइकिल के माध्यम से चलने वाली ललिता पैरों से दिव्यांग होने के बावजूद अपने गांव की 50 से अधिक महिलाओं के लिए आर्थिक स्वावलंबन का सहारा बन गई हैं। ललिता गांव की महिलाओं को गौठान के माध्यम से स्वरोजगार से जोड़कर विभिन्न आजीविका गतिविधियां चला रही हैं। ललिता स्वयं सक्षम बनकर दूसरों को स्वावलंबन बनाने की संभावना को छत्तीसगढ़ सरकार के महत्वकांक्षी योजना नरवा, गरवा, घुरवा, बाड़ी ने पूरा किया है। कक्षा बारहवीं तक पढ़ी ललिता को गांव में गौठान बनने के बाद मन में कुछ कर दिखाने की आस जागृत हुई। उत्सुकता व उत्साह से लबरेज ललिता ने गौठान में काम करने की इच्छा जताई। ललिता के हौसले को कोरबा कलेक्टर श्रीमती किरण कौशल का हाथ मिला। ललिता को आजीविका मिशन के तहत वर्मी कम्पोस्ट बनाने से लेकर गोबर से अन्य उत्पाद बनाने की ट्रेनिंग उसे दिलवाई गई। ट्रेनिंग के बाद महिला समूह के माध्यम से ललिता व गांव की महिलाओं को गौठान में वर्मी कम्पोस्ट बनाने का काम मिल गया। ललिता सहित गांव की महिलाओं ने मेहनत कर पहली बार में ही करीब 50 क्विंटल खाद बनाया। बनाये हुए खाद को विभिन्न शासकीय विभागों को बेचकर लगभग 40 हजार रूपए लाभ कमाए। चिर्रा गौठान की इन महिलाओं ने वन विभाग सहित दूसरे जिलांे के शासकीय विभागों और गौठानों को भी अच्छी क्वालिटी की कंेचुआ खाद बनाने के गुर सिखाये।
ललिता की नेतृत्व में समूह की महिलाओं ने केंचुआ का भी उत्पादन शुरू किया। गौठान में उत्पादित पांच क्विंटल केंचुआ को बेचकर भी समूह ने लगभग सवा लाख रूपए की आमदनी प्राप्त की है। ललिता के साथ जुड़ी गांव की महिलाओं ने जिला पंचायत और बिहान की टीम की मदद से अन्य आजीविका संवर्धन के कार्य भी शुरू कर दिये हैं। पांच महिला समूह वर्मी खाद उत्पादन के साथ-साथ केंचुआ उत्पादन, कोसा धागा उत्पादन, सब्जी, मछली और कुक्कुट पालन कर अपनी आजीविका में बढ़ोत्तरी कर रहे हैं। जिला प्रशासन की ओर से गौठान की महिलाओं को दस कोसा धागा निकालने की मशीन दिया गया है। समूह की महिलायें मशीन चलाकर कोसा धागा भी निकालने के काम में लगी हुईं हैं। ललिता के नेतृत्व में समूह की महिलायें उन्नत किस्म की मुर्गियों का पालन भी कर रहे हैं। मुर्गियों से रोजाना अंडो का उत्पादन भी शुरू हो गया है। ललिता की नेतृत्व में समर्पित होकर काम कर रहीं महिलाओं की समूह ने सब्जी बेचकर भी लगभग 25 हजार रूपए कमा लिये हैं। गोधन न्याय योजना के अंतर्गत दो रूपए प्रति किलो गोबर खरीदी योजना शुरू होने से गौठान में गोबर की आवक बढ़ गई है। गोबर की आवक बढ़ने से ज्यादा मात्रा में वर्मी कम्पोस्ट बनने लगा है। दिव्यांग होने के बावजूद भी ललिता इन सभी महिलाओं का नेतृत्व कर उनको स्वावलंबन का राह दिखा रही है। ग्रामीण जन के लिए जीवकोपार्जन के लिए महत्वपूर्ण योजना शुरू करने के लिए ललिता राठिया मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल का आभार मानना नहीं भूलती हैं।