अधिकारियों की लापरवाही से अटकी पेयजल योजना, 22 हजार लोगों को पानी का संकट

डोंगरगांव नगर के लिए लगभग 20 करोड़ रुपये की लागत से बनी पेयजल आवर्धन योजना, जल संसाधन विभाग के अधिकारियों की लापरवाही से संकट में पड़ गई है। अब 6.62 करोड़ रुपये का स्टीमेट बनाकर आपदा राहत मद से इसकी स्वीकृति मांगी गई है।

राजनांदगांव। डोंगरगांव नगर के लिए लगभग 20 करोड़ रुपये खर्च कर बनाई गई पेयजल आवर्धन योजना का अस्तित्व जल संसाधन विभाग के अधिकारियों की लापरवाही से संकट में पड़ गया है। दर्री-मटिया एनीकट टूटने के बाद इंटकवेल के पास पानी जमा नहीं हो रहा है और सवा दो माह से नगर के लगभग 22 हजार लोगों को पुरानी व्यवस्था से ही बोरवेल का पीने का पानी दिया जा रहा है। आवर्धन योजना को फिर से शुरू करने के लिए एनीकट को नए सिरे से बनाना होगा। साथ ही पहुंच मार्ग व बाढ़ में बहे किसानों के खेतों को भी दुरुस्त करना होगा। इसके लिए शासन को 6.62 करोड़ रुपये का प्राक्कलन भेजा गया है। राशि बड़ी होने के कारण भेंट-मुलाकात कार्यक्रम में पहुंचे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। तीन माह बाद गर्मी का मौसम आने वाला है। उसके पहले यह काम नहीं हुआ तो डोंगरगांव नगर में पेयजल संकट गहराने का अंदेशा है।

सितंबर के दूसरे सप्ताह में शिवनाथ नदी में आई बाढ़ के दौरान भी पहले से क्षतिग्रस्त दर्री-मटिया वाला एनीकट नहीं खोला गया था। इस कारण एनीकट तो बहा ही, 20 किसानों का उपजाऊ खेत भी खड़ी फसल के साथ बह गए। अब सबसे बड़ी समस्या एनीकट टूटने से डोंगरगांव नगर के लोगों को हो रही है। इसी वर्ष गर्मी में बनकर तैयार हुई जल आवर्धन योजना ठप पड़ गई है। कारण, नदी में पानी नहीं है। इंटकवेल के आसपास का क्षेत्र पूरी तरह से सूखा है। एनीकट को बनाए बिना जल आवर्धन योजना को शुरू ही नहीं कराया जा सकता।

आपदा राहत से मांगे 6.62 करोड़
अधिकारियों की लापरवाही को ढंकने अब इस मामले को आपदा साबित करने की कोशिश की जा रही है। प्रारंभिक जांच के बाद उपयंत्री किरण रामटेके को तो निलंबित कर दिया गया, लेकिन शीर्ष अधिकारियों की अब तक जिम्मेदारी तय नहीं की जा सकी है। इतना ही नहीं आनन-फानन में 6.62 करोड़ रुपये का स्टीमेट बनाकर आपदा राहत मद से इसकी स्वीकृत मांगी गई है। शेष कार्यों के लिए राज्य शासन के बजट में लगभग पांच करोड़ रुपये का प्राक्कलन अलग से रखाने की तैयारी जल संसाधन विभाग ने कर ली है। इस तरह अधिकारियों ने अपनी लापरवाही को चालाकी से आपदा साबित करने की पूरी तैयारी कर ली है।

ग्रामीणों को दोहरा नुकसान
एनीकट टूटने से दर्री-मटिया व आसपास गांव के लोगों को दोहरा नुकसान हो रहा है। खड़ी फसल के साथ कीमती खेत पहले ही बह चुके हैं। वे खेतों को पूर्ववत बनाकर देने की मांग कर रहे हैं, लेकिन यह कब पूरी होगी? कहा नहीं जा सकता। दूसरे तरफ नदी में पानी न हीं होने से भूमिगत जल स्रोत पर असर पड़ने लगा है। हाथ से खोदे गए बोरवेल में पानी आना कम हो रहा है। ऐसे में गर्मी के दिनों में ली जाने वाली फसल भी मुश्किल में पड़ सकती है।

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