
रायगढ़।। मिली जानकारी के अनुसार यातायात पुलिस विभाग की बात करेगी या फिर परिवहन विभाग की बात करें जिस तरह से शहर में बिना रोक टोक कंपनी की बसें शहर के चारों तरफ दौड़ती रहती है कभी भी कुछ भी हो सकता है आलम यह है कि शाम शाम को जब पूरे शहर में ट्रैफिक की समस्या बनी रहती है उस समय कंपनी की बसें शहर के चारों तरफ चक्कर लगाती रहती हैं जिसका कोई रोक-टोक नहीं किया जाता है हालांकि यातायात पुलिस के द्वारा बीच-बीच में चलानी कार्रवाई की जाती है इसके बावजूद भी कंपनी प्रबंधक का हौसले बुलंद है पुलिस को चाहिए कि यातायात संतुलन के लिए बिना नियम से शहर में घुसने वाले बसों पर भारी चलानी कार्रवाई करते हुए बसों को सीज कर दिया जाए तब जाकर कंपनी प्रबंधक के हौसले परस्त होंगे।
वही परिवहन विभाग की बात की जाए तो उसका उसका अंदाज ही निराला है परिवहन विभाग को परमिशन देना ही देना ही आता है चाहे जैसी भी वाहन हो जल्दी बाजी में परमिशन देना अपने आप में बहुत सारे सवाल खड़ा करता है औऱ वही दूसरा कार्य लाइसेंस बनाने के अलावा परिवहन विभाग का क्या कार्य है अगर लाइसेंस बनाने वाले दलालों की सक्रियता और दलालों से पैसा नहीं मिलता तो परिवहन विभाग शायद परिवहन विभाग का क्या मायने हैं वह भी भूल जाता कंपनी औऱ स्कूल की कितनी खटारा बस चल रही है,या कितने बस की परमिशन है जो चल रही है, कितने बस पर कार्रवाई किया गया है, कितने बस को सीज किया गया है, कितने बस पर काला शीशा लगा है अभी तक नहीं उतारा गया, वही और भी कितनी बसे हैं जो सुरक्षा दृष्टि के मापदंडों पर सही नहीं है उन पर लास्ट कब कारवाई की गईं , स्कूल और कंपनी बसों के ड्राइवर का भी चेकअप नहीं कराया जा रहा है सबसे बड़ी बात यह भी है कि परिवहन विभाग हाल फिलहाल मीडिया में छपे समाचार को भी भूल गया है की स्कूल बस के एक्सीडेंट की खबर आई थी जिससे स्कूली बच्चो की अकाल मृत्यु तक भी हो गईं थी सभी विभाग के सारे कार्य सुचारू रूप से चल रहे हैं लेकिन परिवहन विभाग में ऐसी कौन सी अमावस घेरा है यह परिवहन विभाग ही जाने।