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अंतराष्ट्रीय महिला दिवस अवसर पर सेव इंडियन फैमिली द्वारा ऑनलाइन संगोष्ठी का आयोजन किया गया

बिलासपुर—:अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 8 मार्च 2022के अवसर पर “सेव इंडियन फैमिली , बिलासपुर छत्तीसगढ़” के बैनर तले भुला दी गई महिलाओं की व्यथा को समाज एवं देश के समक्ष व्यक्त करने हेतु ऑनलाइन संगोष्ठी आयोजित किया गया. इस अवसर पर नगर में महिला सशक्तिकरण एवं उनके अधिकारों के पक्ष में अनेक कार्यक्रम एवं चर्चाएं हो रहीं हैं। वर्तमान समय में संचार के विभिन्न माध्यमों जैसे समाचार पत्र, टी.वी., सोशल मीडिया आदि में महिला सशक्तिकरण के बारे में पढ़ व सुनकर बहुत अच्छा लगता है किंतु वास्तविकता इन सबसे परे है।
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय” एवं “महिला आयोग” तथा विभिन्न महिलावादी संगठनों के द्वारा “महिला” की परिभाषा को एक पक्ष विशेष तक सीमित कर, एक बहुत बड़े वर्ग को अनदेखा किया जा रहा है।
वास्तविकता में कानून एवं विभिन्न महिलावादी संगठनों की परिभाषा में असली महिला का मतलब केवल और केवल “बहू” है, उनके लिए सास, ननद,भाभी और देवरानी,जेठानी, मामी,चाची आदि महिला की परिभाषा में नहीं आते। तभी इन संगठनों नें “बहूओं” के पक्ष में ढेरों कानून बनाकर “बहूओं” को महिलाओं के उत्पीड़न एवं शोषण का कानूनी अधिकार दे दिया है, जिसका दुरुपयोग वर्तमान में चरम पर पहुंच गया है। 498a दहेज़ उत्पीड़न के मामलों में राष्ट्रीय स्तर पर वर्ष 2013 से 2018 तक 210051 महिलाओं को गिरफ्तार किया गया है | इसी तरह छत्तीसगढ़ राज्य में वर्ष 2013 से 2018 तक कुल 3068 महिलाओं की गिरफ़्तारी हुई है | 498a दहेज़ उत्पीड़न के मामलों में राष्ट्रीय स्तर पर वर्ष 2013 से 2018 तक प्रति प्रकरण 1.59 % महिलाओं को गिरफ्तार होना पड़ा है | इसी तरह 498a दहेज़ उत्पीड़न के मामलों छत्तीसगढ़ राज्य में वर्ष 2013 से 2018 तक प्रति प्रकरण 2.6 % प्रतिशत महिलाओं को गिरफ्तार होना पड़ा है | इन आंकड़ों से यह स्पष्ट होता है छत्तीसगढ़ छत्तीसगढ़ राज्य में महिलाओं की गिरफ़्तारी दर राष्ट्रीय स्तर से कहीं ज्यादा है | 498a में राष्ट्रीय स्तर पर वर्ष 2018 में सजा की दर मात्र 11.9 % है |

महिला सशक्तिकरण के इस वर्तमान दौर में झुठे 498A(दहेज प्रकरण), घरेलुहिंसा(DV) जैसे अन्य धाराओं का दुरुपयोग कर अपने ही घर की दूसरी महिलाओं जैसे सास, ननद,भाभी को प्रताड़ित किया जा रहा है। इस कानूनों के प्रावधानों का दुरुपयोग कर बूढ़ी सास, ननद, भाभी तथा पति परिवार की अन्य महिलाओं को गिरफ्तार करवा कर जेल में निरुद्ध करवा दिया जा रहा है, और जिन्होंने ताउम्र कोर्ट-कचहरी नहीं देखी है, उन्हें उम्र के इस पड़ाव में कोर्ट कचहरी के चक्कर काटकर एड़ियां घिसनी पड़ रही है।

महिलावादी कानूनों के दुष्परिणाम

  1. छोटे- छोटे घरेलु विवादों में पत्नी / बहु के द्वारा इन कानूनों के दुरुपयोंगो की वजह से तलाक की दर एवं परिवार टूटने की संख्या पिछले कुछ वर्षों में आश्चर्य जनक तरीके से बहुत बढ़ गयी है | एक बार घरेलु विवाद थाने या कोर्ट-कचहरी पहुंचने के बाद परिवार टूटने से बचने संभावना बहुत काम हो जाती है |
  2. भारत में पिछले 6 वर्षों 2013 -2018 तक 210051 महिलाओं को गिरफ्तार,जेल में निरुद्ध एवं कोर्ट से जमानत लेना पड़ा |
  3. भारत में घरेलू हिंसा(DV) कानून के “राइट टू रेसिडेंस” प्रावधानों का दुरुपयोग कर बुजुर्गों को उनकी स्वयं की जमा पूंजी से निर्मित मकान से पृथक कर दर-दर की ठोकर खाने को मजबूर किया जा रहा है।
  4. भारत में वर्ष 2018 में लगभग 92114 पुरुषों ने आत्महत्या की और जिसमे 64791 पुरुष वैवाहिक थे | प्रतिवर्ष पुरुष आत्महत्या की दर महिलाओं की तुलना में लगभग दुगनी हैं, जिनमे अधिकांश आत्महत्या घरेलु विवाद एवं महिलावादी कानूनों के दुरूपयोग एवं उसकी धमकी की वजह से हो रहे है |

पुरुषों की इन आत्महत्याओं में-
(अ). महिलाओं को अपने बेटों की आत्महत्याओं में,
(ब). ननदों को अपने भाई की आत्महत्याओं में,
(स). भाभियों को अपने देवरों की आत्महत्याओं में,
न्याय पाने हेतु दर-दर की ठोकरें खाने पड़ रहीं हैं और इसके विपरीत पत्नी(बहू) के द्वारा आत्महत्या करने पर पत्नी परिवार द्वारा 304(B) दहेज हत्या के आरोप मात्र से पति परिवार के पूरे खानदान को जेल में ठूस दिया जाता है।
5 . महिलावादी कानून असल में महिलावादी कानून न होकर “बहूवादी” कानून है एवं “महिला एवं बाल विकास मंत्रालय” तथा “महिला आयोग” असल में “बहू/पत्नी मंत्रालय” और “बहू/पत्नी आयोग” है क्योंकि इनकी नजरों में सास,ननद,भाभी,चाची,मामी महिलाएं नहीं है।
“सेव इंडियन फैमिली- बिलासपुर” भारत सरकार, महिला आयोग एवं कानून के द्वारा भुला दी गयी महिलाओं के अधिकारों की आवाज उठाने का कार्य कर रहा है। महिलावादी कानूनों के दुरूपयोग से पीड़ित कोई भी व्यक्ति संस्था से निशुल्क मार्गदर्शन ले सकता है, जिसके लिए प्रत्येक रविवार 12 बजे से 2 बजे तक कोन्हेर गार्डन, मेन पोस्ट ऑफिस के सामने, बिलासपुर साप्ताहिक मीटिंग आयोजित की जाती है |
सेव इंडियन फॅमिली के द्धारा राष्ट्रीय स्तर पर निशुल्क हेल्पलाइन नम्बर 8882-498 -498 संचालित किया जा रहा | इस हेल्पलाइन नंबर पर प्रत्येक दिन सैंकड़ो प्रताड़ित पुरुष एवं उनके परिवार के सदस्यों का फ़ोन आते है | इस हेल्पलाइन नंबर के जरिये काफी पुरुषों को आत्महत्या जैसे घातक कदम उठाने से रोका गया है |
जब तक इन “भुला दी गयी महिलाओं (सास, ननद,भाभी,चाची)” के न्याय के लिए कानूनों में आवश्यक बदलाव नहीं हो जाता तब तक यह “अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस” और महिला सशक्तिकरण इनके लिए “बेमानी” है।
महिला दिवस पर यह संघोष्ठी गूगल मीट पर 11 बजे से 1 बजे तक आयोजित की गयी और इसमें 90 लोग शामिल हुए |
आज के इस कार्यक्रम में मुख्य रूप से श्रीमती अरुणा दुबे, श्रीमती अनुसुइया शर्मा, श्रीमती विद्या कश्यप एवं श्रीमती राजश्री परिहार ने अपने विचार रखे |
सेव इंडियन फॅमिली बिलासपुर की तरफ से विकास परिहार (अध्यक्ष ), कमल किशोर (उपाध्यक्ष ), मोईन खान (सचिव) मनीष शर्मा (सचिव) एवं संजय तिवारी (कोषाध्यक्ष) ने भी वर्तमान समय में महिलावादी कानूनों के दुरुपोग के दुष्परिणामों पर विस्तृत चर्चा की |
सेव इंडियन फॅमिली दिल्ली के सदस्य श्री नीलाद्रि दास जी ने आज की संगोष्ठी के लिए NCRB के द्वारा प्रकाशित डाटा को उपलब्ध कराया |सेव इंडियन फैमिली हेल्प लाइन मोबाइल नंबर 9479030002, 9425222427 नेशनल हेल्पलाइन- 8882 -498 -498पर संपर्क कर सकते है

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