
जिला -एमसीबी रईस अहमद जनकपुर
28 मार्च के दिन सुमित शर्मा पर हुए प्राणघात हमले में आखिरकार 2 अप्रैल को सुमित शर्मा ने दम तोड़ दिया ।28 मार्च के दिन सुमित शर्मा पर हुए प्राणघात हमले में आखिरकार 2 अप्रैल को सुमित शर्मा ने दम तोड़ दिया ।
28 मार्च और 2 अप्रैल के बीच सुमित शर्मा और उसके परिवार के साथ जो कुछ बीता वह सामान्य नहीं था। प्रशासन का ढीला रवैया कहीं ना कहीं कई बड़े सवाल खड़ा कर रहा है?
जनकपुर पुलिस ने f.i.r. में देरी क्योंकि यह भी अपने आप में एक बड़ा प्रश्न है क्या जनकपुर पुलिस राजनीतिक दबाव में थी ?
सुमित शर्मा के मृत्यु के बाद जैसे ही मामला तूल पकड़ा वैसे ही हम जनकपुर ग्राउंड जीरो पर पहुंचकर तफ्तीश करने लगे और हमने मृतक सुमित शर्मा की मां और उनके परिवार से बात किया बातचीत के दौरान मृतक की मां ने जो कुछ जानकारी दिया वह पुलिस प्रशासन और अस्पताल प्रबंधक के ऊपर भी कई गंभीर सवालिया निशान खड़े करते हैं?
सवाल नंबर एक आखिर जनकपुर पुलिस ने f.i.r. में देरी क्यों की? क्या पुलिस राजनैतिक दबाओ मे थी?
सवाल नंबर दो जनकपुर थाना प्रभारी का कहना है कि हमें घटना की कोई जानकारी नहीं मिली लेकिन डॉक्टर सत्यजीत दास का कहना है हमने थाने में जानकारी दी थी।
हमने पाया कि जनकपुर थाना और समुदाईक स्वस्थकेंद्र जनकपुर से सुमित शर्मा का घर और घटना स्थल महज एक या डेढ़ किलोमीटर की दूरी पर है।
सवाल नंबर तीन जब सुमित शर्मा को रिफर कर दिया गया था और सर के सिटी स्कैन के लिए कहा गया था तो डॉक्टर सुमित शर्मा का क्या इलाज कर रहे थे और क्यों?
सवाल नंबर चार वह कौन सा इंजेक्शन सुमित शर्मा को लगाया गया था जिससे सुमित शर्मा की हालत बिगड़ती चली गई और उसकी जान चली गई?
आपकी आवाज यह सारे सवाल सुमित शर्मा की मां और उसके परिवार से हुई बातचीत के आधार पर कर रहा है। क्या सुमित शर्मा की मौत का जिम्मेदार सिर्फ शैलेंद्र सिंह है? या जिम्मेदारी लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों की भी तय होनी चाहिए?