
क्या इस बेवा का कोई सुनने वाला नहीं है, न्याय के लिए इधर-उधर भटकना पड़ रहा है… अब कलेक्टर से है आखरी उम्मीद
धरमजयगढ़ (कापू थाना क्षेत्र) — “न्याय की उम्मीद में एक-एक दरवाजा खटखटा चुकी हूं, लेकिन अब तक कोई सुनवाई नहीं हुई।” ग्राम पंचायत में कई बार बैठक सरपंच,सचिव बीडीसी भी न्याय नहीं दिला सके, फिर थाना कापू में भी शिकायत की, लेकिन कई महीनों बीत गए। कोई कार्रवाई नहीं!” यह दर्द है ग्राम पंचायत कुमा निवासी राधाबाई पति स्वर्गीय दशरथ राऊत का, जो पिछले दो वर्षों से न्याय के लिए संघर्ष कर रही हैं, लेकिन अब तक उन्हें केवल निराशा ही हाथ लगी है।
7 सितंबर 2024 को राधाबाई ने कापू थाना में एक लिखित शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें उन्होंने साफ तौर पर उल्लेख किया था कि उनके अनुपस्थिति में गांव के ही सुखीराम सारथी नामक व्यक्ति ने उनके घर पर जबरन कब्जा कर लिया। राधाबाई का कहना है कि वह अकेली और असहाय महिला हैं, उनके साथ घर में कोई और नहीं रहता, और इसी बात का फायदा उठाकर सुखीराम ने उनके घर को कब्जे में ले लिया।
शिकायत में यह भी दर्ज है कि न केवल कब्जा किया गया बल्कि सुखीराम ने दबंगई दिखाते हुए घर को तोड़ भी दिया। जब राधाबाई ने इस पर विरोध जताया तो सुखीराम ने उन्हें खुलेआम धमकी दी और कहा, “यहां से हट जा, अब तेरा यहां कुछ नहीं चलेगा।”
न्याय की अनदेखी, अपराधी का बढ़ता मनोबल
राधाबाई की शिकायत के बावजूद पुलिस प्रशासन ने आज तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया। कार्रवाई के अभाव में आरोपी सुखीराम का मनोबल और बढ़ता चला गया। हाल ही की घटना में राधाबाई ने बताया कि वह अपने मेहनत से महुआ बीन रही थीं, तभी सुखीराम अपने पूरे परिवार के साथ वहां पहुंचा और जबरदस्ती उनके सभी महुआ उठाकर ले गया।
अब स्थिति यह है कि एक असहाय बुजुर्ग महिला अपने ही घर और मेहनत के फल से वंचित हो चुकी है, और किसी भी प्रकार की सहायता न मिलने से मानसिक और शारीरिक रूप से बेहद परेशान हैं।
उम्मीदें अब कलेक्टर से
राधाबाई का कहना है कि उन्होंने थाना प्रभारी से कई बार निवेदन किया लेकिन कोई कार्यवाही नहीं हुई। अब उनकी आखिरी उम्मीद कलेक्टर से है, लेकिन वह वहां तक भी नहीं पहुंच पा रही हैं। राधाबाई भावुक होकर कहती हैं, “अब तो समझ नहीं आता कि कहां जाएं, किससे गुहार लगाएं।”
यह मामला प्रशासनिक संवेदनशीलता की गंभीर परीक्षा बन चुका है। यदि जल्द ही कोई सख्त कदम नहीं उठाया गया, तो यह न केवल न्याय व्यवस्था पर सवाल खड़ा करेगा, बल्कि समाज के कमजोर वर्गों के प्रति प्रशासन की उदासीनता को भी उजागर करेगा।
