स्टिपेन्ड पर काम कर रहे नए कर्मचारियों को मिलेगा 100% वेतन—बिलासपुर से निकला हिस्टोरिक जुद्ग्मे

★ हाईकोर्ट का ऐतिहासिक फैसला

Bilaspur। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने Stipend Vetan मामले में बड़ा निर्णय सुनाया है। न्यायालय ने आदेश दिया है कि जिन नव-नियुक्त कर्मचारियों को 70%, 80% या 90% स्टाइपेंड के आधार पर वेतन दिया जा रहा था, उन्हें अब 100% पूरा वेतन, pay protection, और पूरा arrears दिया जाएगा।
इस निर्णय से Stipend Vetan, full salary, technical tyagpatra, और Chhattisgarh High Court से जुड़े हजारों कर्मचारियों को राहत मिलेगी।


★ स्टाइपेंड और तकनीकी त्यागपत्र की समस्या

शिक्षा तथा अन्य विभागों के कई नए कर्मचारियों ने शिकायत की थी कि नियुक्ति के समय उन्हें पूरा वेतन नहीं दिया गया।
कुछ कर्मचारी तो वे भी थे जिन्होंने technical tyagpatra देकर उच्च पद पर चयन स्वीकार किया, लेकिन प्रमोशन मिलने के बाद भी उन्हें स्टाइपेंड पर ही वेतन मिलता रहा।
इन निर्णयों ने कर्मचारियों में असंतोष पैदा किया और फिर मामला हाईकोर्ट पहुंचा, जिससे Stipend Vetan विवाद और गंभीर हो गया।


★ याचिकाकर्ताओं ने रखा अपना पक्ष

मुकेश वैष्णव और अमृत साहू ने इस संबंध में हाईकोर्ट में याचिका दायर की।
उन्होंने कहा कि स्टाइपेंड पर नियुक्ति प्रक्रिया न केवल गैरकानूनी है, बल्कि संविधान के समानता के अधिकार का भी उल्लंघन करती है।
याचिकाकर्ताओं का तर्क था कि जब कर्मचारी नियमित चयन प्रक्रिया से आए हैं, तो उन्हें पूरा वेतन मिलना ही चाहिए—इसी तर्क ने Stipend Vetan मामले को मजबूती दी।


★ जस्टिस अमितेंद्र किशोर प्रसाद का निर्णय

जस्टिस अमितेंद्र किशोर प्रसाद ने स्पष्ट कहा कि स्टाइपेंड आधारित वेतन नियम असंवैधानिक है और इसे लागू नहीं किया जा सकता।
कोर्ट ने आदेश दिया कि:

  • सभी कर्मचारियों को नियुक्ति की तारीख से 100% फुल वेतन मिलेगा
  • पहले दिया गया स्टाइपेंड का अंतर (arrears) पूरा लौटाया जाएगा
  • pay protection का लाभ अनिवार्य रूप से दिया जाएगा

यह फैसला छत्तीसगढ़ में Stipend Vetan व्यवस्था से जुड़े सभी कर्मचारियों के लिए मील का पत्थर माना जा रहा है।


★ हजारों कर्मचारियों को बड़ी राहत

इस निर्णय के बाद राज्यभर में नव-नियुक्त कर्मचारियों में खुशी की लहर है।
शिक्षा, राजस्व, पंचायत एवं अन्य विभागों में कार्यरत हजारों कर्मियों को अब आर्थिक लाभ मिलेगा।
विशेषकर technical tyagpatra देने वाले कर्मचारी इस फैसले को बड़ी जीत के रूप में देख रहे हैं।
छत्तीसगढ़ के प्रशासनिक इतिहास में Stipend Vetan पर यह सबसे बड़ा न्यायिक हस्तक्षेप माना जा रहा है।

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