
साप्ताहिक लाॅकडाउन:- सड़कों पर बेवजह घुमते रहे लोग
बलौदाबाजार,
फागुलाल रात्रे, लवन।
फागुलाल रात्रे, लवन।
कोरोना संक्रमण के दौर के बीच पिछले साल के मुकाबले इस इस साल साप्ताहिक लाॅकडाउन का सख्ती से पालन नहीं हो रहा है। पिछले साल तीन महीने के लाॅकडाउन का सामना करना पड़ा था। वही इस साल कोरोना की दूसरी लहर पर काबू पाने के लिए जिला प्रशासन ने सप्ताह में एक दिन पूर्ण लाॅकडाउन लगाया है। 24 मई के बाद से कुछ दुकान सुबह 7 बजे से शांम 4 बजे तक खुलने की छुट दी गई है। जिसमें लोगों की काफी चहल-पहल देखी गई। वही, बुधवार को पूर्ण लाॅकडाउन होने के बावजूद गली-मोहल्लों, सड़कों पर लोग बेवजह घुमते रहे। साप्ताहिक लाॅकडाउन में जरूरी सेवाओं को छूट दी गई है। कोरोना की रफ्तार धीमी पड़ते ही जिला प्रशासन ने सप्ताह में 6 दिन कुछ दुकानों को मास्क व सोशल डिस्टेसिंग के नियमों का पालन करते हुए खोलने की छुट सुबह 7 बजे से शांम 4 बजे तक दी गई है। लाॅकडाउन बुधवार को दोपहर 4 बजे तक लोगों की आवाजाही काफी देखी गई। ज्यादातर लोग बवेजह सड़कों पर घुमते नजर आये। वही, कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए पुलिस प्रशासन की ओर से लगातार अपील की जा रही है कि बेवजह घरों से बाहर ना आएं। मास्क का उपयोग करें और सामाजिक दूरी का पालन करें। वहीं, कुछ व्यापारी अपने-अपने दुकानों का आधा सटर खोलकर ग्राहकों को सामान देते नजर आये।
उल्लेखनीय है कि अभी कोरोना का खतरा टला नहीं है, और शासन-प्रशासन ने आम जनताओं के हित को ध्यान में रखते हुए आवश्यक सेवाओं की दुकान खोलने की छुट दे दी गई है। उसका असर ग्रामीण क्षेत्रों में कितना हो रहा है यह देखना है, क्योंकि छूट के दौरान लापरवाही और दुरूपयोग के चलते जरा सी चूक कहा पहुंचा सकती है। वहीं, ऐसे भी दुकानदार है जो कि छूट की श्रेणी में नहीं आते, लेकिन पर्दे की आड़ में उनकी दुकानदारी दिनभर चलती रहती है। इसके अलावा जो छूट के श्रेणी में वो दुकानदार भी तय सीमा के समाप्त होने के बाद भी दुकान का पट खोल ग्राहकी में व्यस्त रहते है। कुछ दुकानो के आसपास भीड़ लगी रहती है। जबकि शासन-प्रशासन के दिशा-निर्देश के मुताबिक पांच से अधिक लोगों के जमा होने पर प्रतिबंध है। कुछ व्यक्ति जानते हुए भी अनदेखा कर देते है, तो वही कुछ लोगों में जानकारी का अभाव है। लोग कोरोना के प्रभाव को समझ नहीं पा रहे है, शायद यही वजह है कि लोग बिना मास्क के घर से निकल रहे है, और सोशल डिस्टेसिंग का पालन भी करते नहीं दिख रहे है।