
रायगढ़ – प्रदेश में सियासत और चुनावी घमासान शुरू हो गया है। प्रदेश के नेताओं के साथ-साथ राष्ट्रीय नेताओं की भी नजर यहां बनी हुई है। प्रदेश में मुख्य प्रभावी दो दलों में टिकट दावेदारी की प्रक्रिया लगभग पूरी हो चुकी है। अब कुछ ही दिनों में टिकट की घोषणा होनी है। कहा जा रहा है कि इसी हफ्ते में भाजपा कभी भी टिकट की घोषणा कर सकती है। दावेदारों के आगे पीछे घूमने वाले कार्यकर्ता अपने-अपने नेताओं की दावेदारी को मजबूत बता रहे हैं। पर टिकट की दौड़ में कौन मजबूत है, यह केवल राष्ट्रीय नेता ही समझ पा रहे होंगे। क्योंकि दावेदारों की ग्राउंड रिपोर्ट और प्रदेश के कई अखबारों और चैनलों के सर्वे की जानकारी नेताओं के पास है। ऐसे में किस सीट पर कौन मजबूत है। इसपर चौक चौराहों पर केवल बहस की जा रही है। प्रत्याशी का चयन तो दलों के आलाकमान को ही करना है। राजनीतिक जानकारों का मानना है, जिनकी चुनावी हवा बनाई जाती हैं वो जमीन पर बिलकुल मजबूत नहीं होते है। भाजपा में राजनीतिक रूप से मंजे हुए खिलाड़ियों की संख्या अधिक है। यही कारण है कि आज देश में भाजपा की सरकार लगातार बन रही है। बता दें कि पिछले विधानसभा चुनाव में छत्तीसगढ़ में भाजपा का सूपड़ा साफ हो गया था। यहां कई मंत्री भी अपनी सीट सुरक्षित नहीं कर पाए थे। इसलिए इस बार भाजपा एक-एक सीट को बड़ी बारीकी से देख रही हैं। कुछ विधानसभा सीटें ऐसी है, जहां प्रत्यासी घोषित नहीं हुआ है फिर भी दावेदारों के नामों पर एकतरफा हल्ला कर गुटबाजी को खुल्ला बुलावा दिया जा रहा है। जबकि पार्टी को यह मालूम है कि कहा पर किसकी मजबूती है और किसको टिकट देने पर किसका कितना विरोध होगा। रायगढ़ विधानसभा भी उन विधानसभा सीटों में से एक है। यहां पर भाजपा से दिग्गज और पूरे क्षेत्र में जमीनी पकड़ रखने वाले कई नेताओं ने दावेदारी पेश की है। जिसपर भी भाजपा के राष्ट्रीय नेताओं का ध्यान लगा हुआ है। रायगढ़ विधानसभा की राजनीति को नहीं समझने वाले लोग अपने निजी स्वार्थ को भंजाने में लगे हुए हैं। भाजपा के कुछ ऐसे नेता जो अपने वार्ड में भाजपा का एक पार्षद नहीं बना पाते हैं। ऐसे लोग भाजपा के लोकप्रिय नेता प्रदेश महामंत्री ओपी चौधरी को रायगढ़ में मजबूत बताकर उनके साथ-साथ भाजपा को भी गुमहरा करने का प्रयास कर रहे हैं। भाजपा नेता ओ.पी. चौधरी की दावेदारी की खबर के बाद यहां
ओ पी चौधरी के जीत के दावे सोशल मीडिया पर किए जा रहे हैं। जबकि जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है। रायगढ़ विधानसभा की राजनीति को हल्के में लेने के साथ भाजपा में ओवर कॉन्फिडेंस दिख रहा है जो की पिछले विधानसभा चुनाव का मुख्य वजह बना था । और एक बार फिर वही गलती दोहराई जा रही है इसका नुकसान भाजपा को हो सकता है। रायगढ़ की राजनीति से परिचित लोग भी ओपी चौधरी के रायगढ़ से चुनाव लडने वाली चर्चा पर खुलकर अपनी सहमति नहीं दे रहे हैं। यु कहे की भाजपा के कार्यकर्ताओं के मन में कही ना कही मन यह बाते तों नहीं आ रही की हम लोगो के ऊपर आला कमान रायगढ़ विधानसभा के बाहरी प्रत्याशी थोप रहा है इससे भी आधी कहानी साफ होती हुई दिख रही है लेकिन कोई सामने आकर विरोध नहीं कर पा रहे है बता दें कि रायगढ़ जिले के सभी चारों सीटों का सर्वे को समाचार-पत्र ने गत दिनों जारी किया, जिसमें 42 हजार मतदाताओं ने भाग लिया था।
समाचार-पत्र के सर्वे का सार
रायगढ़ विधानसभा के भाजपा से सम्भावित उम्मीदवारों में चार नाम है, जिसमें सुनील रामदास के नाम पर 85 प्रतिशत लोगों ने विश्वास दिखाया है। तो वहीं उमेश अग्रवाल के नाम पर 3 प्रतिशत लोगों ने विश्वास दिखाया है। इसके अतिरिक्त पूर्व विधायक विजय अग्रवाल के नाम पर 10 प्रतिशत लोगों ने, तो विलिश गुप्ता के नाम पर 2 प्रतिशत लोगों ने विश्वास दिखाया है।
वहीं खरसिया में कांग्रेस के स्वभाविक प्रत्याशी उमेश पटेल पर 96 प्रतिशत लोगों ने विश्वास दिखाया है, तो भाजपा के घोषित प्रत्याशी महेश साहू पर 50 प्रतिशत लोगों ने विश्वास दिखाया है।
वहीं धरमजयगढ़ सीट की बात करें तो कांग्रेस के स्वभाविक प्रत्याशी लालजीत राठिया को 76 प्रतिशत लोगों ने पसन्द किया है, तो भाजपा से हरिश्चन्द्र राठिया पर 86 प्रशित लोगों ने विश्वास दिखाया है।
एक नजर
खरसिया विधानसभा में भाजपा से चुनाव लड़ चुके पूर्व कलेक्टर और राज्य के भाजपा नेता ओपी चौधरी के रायगढ़ में चुनाव लडने की अटकले तेज हैं, लेकिन रायगढ़ विधानसभा का कोई भी मजबूत व्यक्ति इस बात को सामने आकर स्वीकार नहीं कर रहा है,कही मन में साशय जरूर है यह भी विचार विमर्श का विषय है। भाजपा नेता ओपी चौधरी भाजपा में तो बेशक लोकप्रिय हैं, पर रायगढ़ विधानसभा के लिए फेक्ट है या नहीं यह भाजपा ही जानती है । ऐसा कहा जा रहा है कि ओपी चौधरी जो भाजपा की मजबूती के लिए पूरे प्रदेश में काम कर रहे हैं पार्टी उन्हे रायगढ़ विधानसभा से चुनाव लडाकर मात्र एक विधानसभा में सीमित करना नहीं चाहेगी। लोगो का यह मानना है कि ओपी चौधरी अगर रायगढ़ भाजपा से प्रत्यासी बनते हैं, तो प्रदेश भर के तमाम भाजपा नेताओं का पूरा ध्यान रायगढ़ विधानसभा की सीट पर लग जायेगा। इससे रायगढ़ विधानसभा के अलावा पूरे प्रदेश में भाजपा के अन्य प्रत्याशियों का प्रचार-प्रसार पूरी तरह प्रभावित होने की संभावनाएं हैं। यही आकलन कांग्रेस भी लगा रही है और मन ही मन खुश हो रहे हैं कि अगर हकीकत में ऐसा हुआ, तो कांग्रेस को रायगढ़ विधानसभा के अलावा इससे लगे कई अन्य सीटों पर भी फायदा हो सकता है। कहा जा रहा है भाजपा भी एक-एक कदम फुक-फुक कर चल रही है। भाजपा जैसी मजबूत पार्टी को किसी भी बात पर कम आकाना राजनीतिक भूल होगी। भाजपा की विचारधारा से परिचित लोगों का मानना है कि भाजपा का कोई भी निर्णय अपना निजी निर्णय नहीं होता है। भाजपा एक-एक व्यक्ति की राय लेकर काम करती है। ऐसे में रायगढ़ की आम जनता के बीच किसकी दावेदारी मजबूत है, यह तो सर्वे में साफ दिखाई पड़ रहा है कहा जा रहा है कि सर्वे की लिस्ट भी संगठन के पास भी पहुंच गयी है, जिसपर संगठन विमर्श कर रहा है। कुछ लोगो का यह भी मानना है कि भाजपा बहुत अधिक विचार के बाद ही रायगढ़ में प्रत्याशी उतारेगी क्योंकि भाजपा केवल रायगढ़ विधानसभा ही नहीं बल्कि पूरे जिले की सीटों को महत्वपूर्ण मान कर चल रही है।
