
इस बार 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षा सप्ताह भर पहले
खरसिया। प्रदेश में चल रहे विशेष गहन मतदाता पुनरीक्षण कार्य (एसआईआर) में सैकड़ों शिक्षकों व्याख्याताओं की बीएलओ के रूप में ड्यूटी लगने से अधिकांश स्कूल एकल शिक्षकीय हो गए हैं। उक्त शासकीय आदेश पर चिंता व्यक्त करते हुए रायगढ़ जिले के प्रख्यात समाजसेवी योगेश कबूलपुरिया ने कहा की शासन ने बिना किसी तैयारी के हड़बड़ी में आदेश जारी कर दिया जिस कारण इस शासकिय व प्रशासकिय आदेश से ज्यादातर प्राइमरी और मिडिल स्कूलों में प्रधान पाठकों पर ही बच्चों की पढ़ाई का भार आ गया है।
इस आदेश से सबसे ज्यादा चिंतित कक्षा 10वीं एवं 12वीं के छात्र व उनके पालक हैं क्योंकि इस बार बोर्ड परीक्षा सप्ताहभर पहले हीं शुरू हो जायेगी जिससे उनकी पढ़ाई कि गुणवत्ता प्रभावित हों रहीं हैं जिसका सीधा असर बोर्ड परीक्षा के नतीजों में देखने कों मिलेगा। अगले माह यानी सप्ताह भर बाद दिसंबर में छमाही परीक्षा और जनवरी में प्रैक्टिकल परीक्षा होनी है जिसके कारण छात्रों में पहले से हीं पढ़ाई का दबाव हैं। बीते कुछ वर्षों में असर समेत कई रिपोर्ट की मानें तो छत्तीसगढ़ शिक्षा के स्तर पर अन्य राज्यों से काफी पीछे है।
हालत यह है कि पांचवीं और छठवीं के बच्चे दूसरी और तीसरी का पाठ ठीक से पढ़-लिख नहीं पाते। इसे देखते हुए इस साल मुख्यमंत्री शिक्षा गुणवत्ता अभियान चलाने की योजना बनी परंतु यह योजना विशेष गहन मतदाता पुनरीक्षण कार्य में गुम हो गई है। एसआईआर कार्य के लिए सैकड़ों शिक्षकों-व्याख्याताओं की ड्यूटी लगाई गई है। इसकी वजह से स्कूलों में पढ़ाई ठप हो गई है।
सबसे ज्यादा बुरा हाल प्राइमरी और मिडिल स्कूलों का है। इन स्कूलों के सबसे ज्यादा शिक्षकों की ड्यूटी लगी है। स्थिति यह है कि किसी स्कूल में 6 शिक्षक – हैं तो 5 की ड्यूटी बीएलओ के रूप में लगाई गई है। ज्यादातर स्कूलों में केवल प्रधान पाठक ही बचे हैं। प्राइमरी स्कूलों में प्रधान पाठक ही 5 कक्षाओं के बच्चों को संभाल रहे हैं। विभिन्नं योजनाओं की रोजाना ऑनलाइन जानकारी शासन को भेजने के बीच प्रधान पाठक कैसे स्कूल संभाल रहे होंगे? आसानी से समझा जा सकता है।
स्कूलों में ही लगा है कैंप :-
योगेश कबूलपुरिया ने कहा की एसआईआर के लिए शिक्षकों को फील्ड पर तों उतारा हीं गया गया है बल्कि कई क्षेत्रों में स्कूल परिसर में ही एसआईआर के लिए कैंप लगा दिया गया है। ऐसे में छात्रों की पढाई प्रभावित हो रही है। हर रोज बच्चे आपने घरों से पढने की आस लिए स्कूल आते हैं लेकिन स्कूलों में पढाने के लिए गुरूजी ही नहीं है। जिला शिक्षा विभाग से मिले आंकडों को देखा जाए तो जिले के विभिन्न स्कूलों से कुल 941 शिक्षकों की ड्यूटी लगाई गई है। कुछ स्कूल तो ऐसे भी है जहां केवल तीन शिक्षक है उसमें से दो की ड्यूटी एसआईआर में लगी है।
ऐसे कैसे टॉप 10 में जिला बनाएगा जगह :-
पिछले माह सरकारी स्कूलों में दसवीं व बारहवीं की तिमाही की परीक्षाएं सपन्न हुई। इन परीक्षा के परिणामों पर गौर किया जाए तो हैरानी होगी। कई ब्लॉक के स्कूलों का परिणाम 50 प्रतिशत से भी कम है। ब्लॉकवार डाटा देखा जाए तो सबसे खराब स्थिति में धरमजयगढ क्षेत्र के स्कूलों की है। जहां दोनों ही कक्षाओं में सबसे ज्यादा 615 और 347 छात्र फेल हुए हैं। शिक्षकों की अन्य कार्यों में ड्यूटी लगाने से बच्चों बोर्ड का रिजल्ट खराब हो सकता है। जिले में खरसिया, पुसौर, लैंलूगा और रायगढ में से ही दोनों कक्षाओं में 13-13 छात्र-छात्राएं 90 प्रतिशत या उससे अधिक तक पहुंच सके हैं।
वहीं धरमजयगढ़, घरघोडा और तमनार के किसी भी स्कूल का रिजल्ट 90 प्रतिशत तक नहीं पहुंच सका है। ऐसे में यह सवाल उठ रहा है कि इन हालातों में किस तरह जिला बोर्ड के परीक्षाओं में टॉप 10 में जगह बना सकेगा।














