
रायगढ़। यदि आपके पास में कोई भूमि है और आप उसका सीमांकन कराना चाहते हैं तो आपके लिए एक शिर दर्द हो जाएगा सूत्रों की माने तो छत्तीसगढ़ में यह एक महाभारत जैसा प्रतीत होता है
पहले आपको सीमांकन के लिए तहसीलदार के पास एक आवेदन और नियमानुसार शुल्क जमा करना होगा फिर चक्कर पर चक्कर लगाकर किसी तरीके से उस पर तहसील कोर्ट से सीमांकन का आदेश करवाना होगा। थोड़ा जल्दी आदेश के लिए महात्मा गाँधी जी सहयोग लेनी होगी । आदेश आरआई और पटवारी के लिए होता है परंतु इसे आपको ही लेकर उन तक पहुंचाना होगा। आरआई और पटवारी जब सारे सरकारी कामों से फ्री हो जाएंगे तब आपके आवेदन को लाइन में लगाकर पहले से बाद के क्रम में आपको तिथि का निर्धारण करके बताएंगे की कब आपका सीमांकन होगा। जल्दी के लिए फिर से पुनः महात्मा गाँधी का सहयोग लेनी पड़ सकती है
यदि भाग्यवश आपका नंबर आ जाए तो नोटिस की फोटोकॉपियां कराकर आप ही को अपने अगल-बगल के भूमि मालिकों तक पहुंचाना होता है। फिर भूमि मालिक अपने-अपने तरीके से आपको बताते हैं कि वह इस तारीख को यहां पर नहीं है इसलिए तारीख में बदलाव किया जाए, आप फुटबॉल की तरह घूमते रहते हैं एक पड़ोसी ठोकर मारता है फिर दूसरे के पास फिर दूसरे से तीसरे के पास जाते हैं । यदि भगवान की कृपा हो जाए और तिथि निर्धारित हो जाए तो आपको सीमांकन के लिए अपनी जमीन को साफ करवाना होगा और अपने साथ मजदूर रखने होंगे और फिर जमीन की नपाई चालू होगी फिर जमीन नापी करने के लिए एक विशेष बिंदु यानी पॉइंट बनाना पड़ता है
जिसमें बड़ी महाभारत होगी पड़ोसी तैयार नहीं होगा फिर किसी तरीके से अगर पॉइंट निर्धारित हो गया और नपाई हो गई तो पंचनामे में पड़ोसी साइन नहीं करेगा। आपके पूर्व जन्मों के अच्छे कर्म सामने में आ गए और सभी पड़ोसियों ने पंचनामे में साइन कर दी तो फिर आरआई और पटवारी जो प्रतिवेदन बनाएंगे वह आधा अधूरा होगा ना तो आपको समझ में आएगा ना पड़ोसियों को समझ में आएगा। और आप वही के वहीं खड़े रहेंगे जहां पर आप पहले दिन से थे।
आरआई और पटवारी प्रतिवेदन में कहीं पर भी यह लिखा नहीं होगा कि आपकी कम जमीन पर किसने कब्जा किया हुआ है । जिसके कारण आप कहीं पर भी सिविल सूट नहीं कर पाते और यह साबित नहीं कर पाते हैं कि आपकी भूमि आखिर किसके कब्जे में है । अब कोर्ट की तरफ से फिर से आदेश होता है फिर से वही सीमांकन की प्रक्रिया शुरू होती है तब जाकर कहीं कोई रिजल्ट हाथ आता है। शुद्ध सीमांकन रिपोर्ट के लिए फिर आप फुटबॉल बनते हैं फिर आपको ठोकर पर ठोकर लगती है।
यदि किसी तरीके से सीमांकन रिपोर्ट आपने शुद्ध बनवा भी लिया तो जब आप जोड़ेंगे तो आपको अपना रकबा कम दिखाई देगा जब आप राजस्व के अधिकारियों से इसके बारे में पूछेंगे तो वह कहेंगे कि आपका रकबा रिकॉर्ड में ज्यादा है लेकिन मौके पर कम है। अब आप को प्रभु हनुमान जी की शरण में ही जाना बनता है कि हे तारणहार यह बताइए कि जब मेरी जमीन जिसका की एक ही नंबर है उसके टुकड़े भी नहीं हुए हैं नक्शा भी वही है जो मिसल नक्शे से मेल खाता है, नक्शे को नापते हैं तो जमीन पूरी निकलती है लेकिन जब जमीन को नापते हैं तो जमीन कम निकलती है इसका क्या हल है तो श्री हनुमान जी भी आपको सपने में दर्शन देकर के कहेंगे कि वत्स इसके लिए मैं तुम्हारी कोई मदद नहीं कर सकता क्योंकि तुम हिंदुस्तान के छतीसगढ़ के सर्वथा विकासशील जिले रायगढ़ में रहते हो ।
चाहे तो चांद सितारे मांग लो चाहो तो मैं तुम्हारे अपराधियों को दंड दे दूं परंतु मैं इस सीमांकन को शुद्ध करवाने में तुम्हारी कोई मदद नहीं कर सकता । क्योंकि यहाँ किसी कि सुनवाई नहीं है ,मेरी भी नहीं । अब आप रो पीट कर फिर से इस काम में लग जाइए जिस काम को 2 साल में बड़ी मुश्किल से आपने करवाया था। यह आज की सच्चाई है। वह भी उस प्रदेश में जहां मुख्यमंत्री ,राजस्व मंत्री और वित्त मंत्री सभी किसान परिवार से है। इस कटु सत्य से आप जितनी जल्दी रूबरू होंगे उतनी जल्दी आपकी आत्मा को शांति मिलेगी।















