
मदर टेरेसा वार्ड क्र. 23 में भी बीजेपी की जीत तय कांग्रेस ने कमजोर प्रत्यासी को दिया बी फार्म
वार्ड क्र. 23 कांग्रेसी वार्ड है जिसमे बीजेपी का सेंदमारी में सहयोगी होंगे शहर अध्यक्ष
बिलासपुर–:::नगरी निकाय चुनाव की नामांकन प्रक्रिया पूरी होने के बाद नाम वापसी की भी तिथि भी आ गई है किंतु कांग्रेस में अभी भी हाहाकार मचा हुआ है बिलासपुर के वार्ड नंबर 13 के पार्षद प्रत्यासी का नामांकन जाति प्रमाण पत्र जमा न करने के कारण से रद्द हो गया या यु कहे की उन्होंने जानबूझकर ऐसा किया राजनितिक गलियारों में चर्चा है की आपसी सौदा कर अपना नामांकन रद्द करवा लिया है जिससे भाजपा के पार्षद को निर्विरोध जीत हासिल हो गई वैसे तो निगम के 70 वार्डों में अलग-अलग टिकट वितरण की कहानी छनकर सामने आ रही है कांग्रेस के टिकट वितरण प्रणाली में कुछ तो फाल्ट है जिस कारण से ऐसी स्थिति बन रही है. पार्टी फोरम ने विवाद की स्थिति न बने इसलिए हर वार्ड केलिए प्रवेक्षक की टीम बनाकर भेजा गया और ग्राउंड रिपोर्ट को बाकायदा लिखित प्रोफार्मा में दर्ज कर पार्टी फोरम में जमा किया गया किंतु जिम्मेदारो ने इस लिफाफे को खोलकर देखा ही नहीं और अपने लोगो को संतुष्ट करने के हिसाब से टिकट वितरण कर दिया गया वार्ड क्र. 23 में जिस महिला को टिकट दिया गया है वो पूर्व पार्षद की धर्मपत्नी है जिसका प्रवेक्षक रिपोर्ट में तो नाम ही नहीं था बल्कि जिन दो लोगो का नाम था और जिसको टिकट देना फाइनल हुवा था उनका नाम निगम वोटल लिस्ट में ही नहीं था तब आननफानान जिला अध्यक्ष ने पूर्व पार्षद की धर्मपत्नी को टिकट दिया और जिताऊ प्रत्यासी सुकवंति सूर्यवंशी का टिकट काट दिया गया.नाराज कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज का पुतला दहन तक कर दिया किंतु कुछ वरिष्ठ जनो की सलाह से कुछ समर्थको के साथ आज दीपक बैज से व्यक्तिगत रूप से अपना पक्ष रखने गए थे और वार्ड की सारी स्थिति को उनका स्पष्ट किया वहीं दीपक बैज ने 11 सदस्य समिति की बात बड़े ही धीरज के साथ से सुनी और समझी उन्होंने यह कहा कि मुझे मेरे पुतला दहन को लेकर कोई मन में गिला शिकवा नहीं है किंतु मैं ऐसे कैसे बिना जिला अध्यक्ष के सहमति के बी फार्म जारी करने का आदेश कर दू. शहर अध्यक्ष विजय पांडे से फोन पर बात की गई साथ की महापौर प्रत्याशी से भी बात की गई. महापौर प्रत्यासी ने सहमति जताते हुए शहर अध्यक्ष को आग्रह किया की सुकवंति बाई को बी फार्म जारी कर दे यहाँ तक पूर्व सभापति ने भी सहमति जताई किंतु शहर अध्यक्ष अपने जिद में अड़ा रहा और उन्होंने कह दिया कि मैं एक बार जिनको जारी कर दिया है मैं दोबारा उनका नाम नहीं बदलूंगा यदि वह कैंडिडेट हारता है तो हार जाए मुझे उससे कोई फर्क नहीं पड़ता है. अब इस पुरे मामले को समझने से एक बात तो स्पष्ट है की प्रदेश कांग्रेस इस बार नगरी निकाय चुनाव की बहुत ज्यादा गंभीरता से नहीं ले रही है. जितने वाला कर्मठ प्रत्यासी को नजरअंदाज किया जा रहा है और दूसरी और बीजेपी के लिए रास्ता आसान कर रही है