कोसीर बौद्ध बिहार में मना सौर्य दिवस बौद्ध बिहार के विकास को लेकर हुई चर्चा


0 कोसीर बौद्ध बिहार के नए अध्यक्ष दूजे राम खरे मनोनीत
0 प्रज्ञासार भंते के गुजरने के 11 साल बाद विकास पर हुई चर्चा
0 20 वर्षों से किसी ने नहीं ली बौद्ध बिहार की सुध
कोसीर । कोसीर मुख्यालय के संक्राम नाला के किनारे कोसीर बौद्ध बिहार स्थित है जो 21 एकड़ में फैला है । आज नए वर्ष 01 जनवरी को कोसीर बौद्ध बिहार में भीमा कोरेगाव के युद्ध को याद करते हुए शौर्य दिवस मनाया गया ।
हर साल एक जनवरी को दलित समुदाय 1818 की जंग की वर्षगांठ मनाते हैं। 1 जनवरी 1818 को भीमा कोरेगांव में पेशवाओं से लड़ने वाली ब्रिटिश सेना में मुख्य रूप से दलित-महार समुदाय के सैनिक शामिल हुए थे उन्हें जगह -जगह शौर्य दिवस के रूप में मनाया जाता । कोसीर बौद्ध बिहार में भी इस वर्ष शौर्य दिवस मनाया गया और कोसीर बौद्ध बिहार की विकास पर चर्चा हुई यह बैठक कोसीर बौद्ध बिहार के गांव के पूराने समिति के सदस्य रघुबीर बनज के दुवारा आहूत किया गया था ।इस बैठक में सतनामी समाज के कर्मचारी युवा और नेता ,सामाजिक कार्यकर्ता सामिल हुए । बैठक में कोसीर बौद्ध बिहार के विकास को लेकर चर्चा हुई वही नई समिति की गठन पर भी सहमत हुए और नए समिति के लिए कोसीर गांव के दूजे राम खरे को मनोनीत अध्यक्ष बनाया गया वहीं आने वाले समय में समिति का विस्तार किया जा सकता है ।सारंगढ़ -बिलाईगढ़ नव सृजित जिला बनने के बाद कोसीर बौद्ध बिहार के विकास के लिए जिला कलेक्टर से भी मुलाकात करने पर चर्चाएं हुई है ।
कोसीर बौद्ध बिहार की संस्थापक प्रज्ञासार भंते ने 1997 -98 में यहां नींव रखे ।उनके इस मिशन में गांव के पंच -सरपंच भी शरीक हुए और उस समय उनके विशेष सहयोगी में स्वर्गीय सी आर बनज ,रघुबीर बनज ,स्वर्गीय त्रिलोचन लहरे , स्वर्गीय कीरित राम खरे ,पंच राम लहरे , दूजे राम कोशले, रामसिंग लहरे ,रामाधार कुर्रे ,पूर्व विधायक कुमारी कामदा जोल्हे , सुनील एक्सरे , स्वर्गीय प्रज्ञा नन्द भंते ,बहुत ऐसे नाम है जो सीधे -सीधे प्रज्ञासार भंते से जुड़े थे । प्रज्ञासार भंते ने छत्तीसगढ़ के प्रथम मुख्यमंत्री श्री अजित प्रमोद जोगी जी को कोसीर बौद्ध बिहार की स्थापना को लेकर उनसे मिले और 13 अक्टूबर 2001 को मुख्यमंत्री जोगी जी कायर्क्रम में पहुँचे और इंदिरा सहेली योजना के तहत 21 एकड़ जमीन को बौद्ध बिहार के लिए पंचीकृत किए और यहाँ भगवान बुद्ध की प्रतिमा का अनावरण किये उनके साथ उनके मंत्री मण्डल के शहीद नन्दकुमार पटेल ,गुप्ता और सारंगढ विधायक छबि लाल रात्रे भी कार्यक्रम के गवाह बने थे । कुछ दिनों तक यहां बौद्ध बिहार शिक्षा मिशन भी चला पर कुछ वर्ष बाद बन्द हो गए । वही यहां छत्तीसगढ़ के राज्यपाल के एम सेठ भी पहुंचे हुए थे उन्होंने यहाँ के बौद्ध बिहार को दिल्ली के गॉर्डन की तरह बनाऊंगा बोलकर गए थे पर उनकी घोषणा पर कोई अमल नहीं हुआ । यहां के विकास के लिए प्रज्ञासार भंते जी ने बहुत कोशिश किये पर आर्थिक सहयोग नहीं मिल सका । प्रज्ञासार जी बूढ़े हो चले थे लगभग 80 वर्ष की उम्र में 17 दिसम्बर 2012 को उनका निधन हो गया । उनकी योजना और उम्मीद खत्म हो गई उनके गुजने के बाद कई भंते यहां की देख रेख करने लगे और यहाँ का विकास जो होना था नहीं हो सका । वही आज उनके गुजरने के 11 वर्ष बाद लोगों में फिर एक बार सुगबुगाहट हो रही है और यहाँ के विकास के लिए सोंच रहे हैं । आज कोसीर बौद्ध बिहार विकास के लिए 20 वर्षों से अब बाट जोह रहा है । सौर्य दिवस पर कोसीर बौद्ध बिहार की विकास पर हुई चर्चा और बैठक जिसमें सारंगढ़ अंचल के सतनामी समाज के युवा वर्ग कर्मचारी और नेता ,सामाजिक कार्यकर्ता सामिल हुए जिसमें प्रमुख रूप से रघुबीर बनज , पूर्व विधायक कुमारी कामदा जोल्हे , दुजेराम खरे , भैरव नाथ जाटवर , रामकुमार श्रीवास ,राजकुमार जांगडे , सतनामी विकास परिषद के अध्यक्ष देवनारायण वर्मा ,उद्धो राम कोशले, गोपाल बंजारे ,हीरा बनज ,चन्द्रभाग बंजारे , मुनि ,रथराम कोशले,खुदेश्वर कुर्रे, अशोक आजाद ,रामसुरत भारद्वाज ,नारायण लहरे ,रामगोपाल बंजारे , गब्बर , नुत राम टन्डन , तिरनाथ लहरे , सहित बैठक में 50 से अधिक लोग उपस्थित रहे ।

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