
छत्तीसगढ़ : ‘रेडी-टू-ईट’ अब हाईकोर्ट में, स्व-सहायता समूहों ने सरकार के फैसले को दी चुनौती
छत्तीसगढ़ की आंगनवाड़ी कार्यकर्ताएं और सहायिकाएं (Anganwadi workers and helpers) अपनी जायज मांगों को लेकर सोच-विचार करती रह गईं। वे बैठक दर बैठक करती रह गईं। एक-दूसरे संगठनों का मूंह ताकती रह गईं, लेकिन स्व-सहायता समूहों (Self help Groups) की महिलाओं ने अपने हक के लिए आवाज उठाने में कोई देरी नहीं की। बेवजह सोच-विचार करने में अपना वक्त बरबाद न करते हुए पांच स्व-सहायता समूहों ने हाईकोर्ट (HighCourt) में छत्तीसगढ़ सरकार के उस फैसले को चुनौती दे दी है, जिसके अंतर्गत सरकार ने स्व सहायता समूहों के हाथ से रेडी टू ईट (Ready to eat) निर्माण का कार्य चला गया है। पढ़िए पूरी खबर- बिलासपुर। रेडी टू ईट मामले में पांच स्व सहायता समूहों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर करते हुए छत्तीसगढ़ सरकार के फैसले को चुनौती दी है। छत्तीसगढ़ सरकार के रेडी-टू-ईट संबंधी नए फैसले से प्रदेश की हजारों स्व सहायता समूह प्रभावित हो रहे हैं। इन समूहों से लाखों महिलाएं जुड़ी हुई हैं। गौरतलब है कि गत दिनों छत्तीसगढ़ शासन ने एक निर्णय लिया है कि अब आंगनबाड़ी केन्द्रों में वितरण किए जाने वाले रेडी टू ईट का निर्माण स्व सहायता समूह नहीं करेंगीं। सरकार ने इसके निर्माण के लिए अलग सरकारी एजेंसी तय कर दी है। अब स्व सहायता समूहों की भूमिका केवल वितरण में रहेगी। सरकार के इस फैसले से स्वसहायता समूह नाराज हैं। उनका कहना है कि इससे उन्हें आर्थिक नुकसान होगा। उनके हाथ से रोजगार चला जाएगा। ताजी जानकारी यह है कि बिलासपुर हाईकोर्ट में पांच स्व सहायता समूहों ने सरकार के फैसले को चुनौती दे दी है। सोमवार को इस मामले की सुनवाई संभावित है।